Swatantrata Diwas 15th August 2024 Par Pujya BapuJi Ka Sandesh
भारतवासियों में हनुमान जी जैसा बल-वीर्य, साहस, सेवाभाव और संयम आये । जब तक साहस, सेवा और संयम नहीं आयेंगे, तब तक एक ठग से, एक शोषक से बचेंगे तो दूसरे शोषक आकर शोषण करेंगे । होता भी ऐसा ही है । पहले शोषक राजाओं से बचे तो अंग्रेज शोषक आ गये, अंग्रेज शोषकों से बचे थोड़े बहुत तो दूसरे आ गये । जब तक बल-वीर्य, साहस, संयम, सामर्थ्य नहीं
A Story of Khudiram Bose Indian revolutionary: 15 August Special
A Short Story of Khudiram Bose Indian revolutionary in Hindi : 15 August 2024 Special (Independence Day Special) बात उस समय की है जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था। मेदिनीपुर (पं. बंगाल) में एक विशाल प्रदर्शनी लगी थी, जिसका उद्देश्य था अंग्रेजों द्वारा भारत के लोगों पर किये जा रहे अत्याचारों पर पर्दा डालना । प्रदर्शनी में रखी वस्तुएँ, चित्र, कठपुतलियाँ ऐसी थीं जिससे लोगों को लगे कि गोरे
Kartar Singh Sarabha Freedom Fighter: Independence Day 2024
A Short Story From Biography of Kartar Singh Sarabha Freedom Fighter (Kranti Veer/ Swatantrata Senani/ Revolutionary) Independence Day 2024 Special : ➠ सन 1915 में करतार सिंह सराबा, बिहारी आदि क्रांतिकारियों ने पंजाब में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध विद्रोह की एक योजना बनाई और उसके लिए आवश्यक धन जुटाने हेतु एक घर में डाका डाला। ➠ उस घर में एक रूपवती व उसकी मां रहती थी। युवती को देखकर करतार
Sacchi Azadi/ Swatantrata Paa Lo- Independence day 2024 Special
15th August 2024 Special : Sacchi Azadi Paa Lo. Independence day 2024 Special [Pujya BapuJi’s Satsang on Swantratra Divas] ..तो स्वतंत्रता दिवस पर यही संदेश है कि ‘आप आजादी की खुशियाँ मनाना चाहो तो भले मना लेना, परंतु खुशियाँ मनाने के साथ वे शाश्वत रहें ऐसी नजर रखना । देश को तोड़ने वाले तत्वों और अपने को गिराने वाले विकारों से बचना । ईश्वर-स्मरण व साधन-भजन इन्हीं की ओर खुद
Maharana Pratap Jayanti 2023 Special: A Short Story in Hindi
Maharana Pratap Jayanti 2022 Date : 9th June 2023 तपती दोपहरी में अरावली की पर्वत मालाओं के बीच राणाप्रताप अपने पुत्र, पत्नी व नन्ही बेटी को साथ लिये किसी नये सुरक्षित स्थान की खोज में आगे बढ़े जा रहे थे । यह चित्तौड़ की पराधीनता का समय था । अकबर के सैनिक इस पहाड़ी के चप्पे-चप्पे में फैले हुए थे । ‘न जाने कब, कहाँ शत्रु-सैनिक आ पहुँचें ?’ इस