Brahmacharya Motivation for Students: कामविकार का मन पर बड़ा घातक दुष्प्रभाव पड़ते हुए भी आज लोग चलचित्रों में, नाटकों में चोरी, डकैती, लूटपाट, प्रेमी-प्रेमिकाओं के दृश्य देखते हैं। छोटे-छोटे बच्चों के चित्त पर उन दृश्यों का बड़ा घातक असर पड़ता है।
आज से दो पीढ़ी पहले २०-२० साल के युवक युवतियाँ जिस बात को नहीं जानते थे, उसे आज चलचित्र देखकर ११ साल के बच्चे जान जाते हैं और अपना सत्यानाश कर बैठते हैं।
अखबारों में आपने पढ़ा ही होगा कि विदेश में ११ साल की लड़की और १२ साल का लड़का माँ-बाप बन गये। कितना भयंकर अनर्थ हो रहा है गंदे चलचित्रों से !
आज दादा-दादी, माता-पिता और बच्चे बच्चियाँ – ये तीन-तीन पीढ़ियाँ साथ में बैठकर चलचित्र, टी.वी. देखती हैं। तीन-तीन पीढ़ियाँ एक साथ अपने मन को मलिन कर रही हैं। होता तो है प्लास्टिक की पट्टियाँ और कैमरे का कमाल, वास्तविकता तो कुछ होती नहीं लेकिन उन्हें देखकर लोगों के मन मलिन हो रहे हैं। इससे भारत का भविष्य खतरे में है।
भारत के भविष्य को उज्ज्वल बनाना हो तो ये तीनों पीढ़ियाँ संतों-महापुरुषों के सान्निध्य में जायें और भगवद्भजन, भगवद्ध्यान एवं भगवद्ज्ञान की महिमा को समझकर तदनुसार आचरण करें ।
अभिभावक अपने बच्चों को भी भगवद्भक्तों, देशभक्तों और महापुरुषों की गाथाएँ सुनाकर उनमें शुभ संस्कारों का सिंचन करें । मनोरंजन के नाम पर जो चलचित्र दिखाये जाते हैं उनमें भी समाज में सुख-शांति और सदाचार का संदेश देनेवाली कहानियाँ दिखायें तो अच्छा है ।
आप अपनी वास्तविक गरिमा को पहचानें, सदाचार का पालन करें और महापुरुषों की बतायी हुई युक्तियों का अनुसरण करें ।
अपने ओज-वीर्य की रक्षा करें एवं ‘युवाधन सुरक्षा’ पुस्तक का अध्ययन स्वयं तो करें ही, देश के प्रत्येक युवक-युवती तक पहुँचाने का भी संकल्प करें ताकि देश का युवाधन जागरूक, संयमी एवं मजबूत हो ।
देश के युवक युवतियाँ वीर और साहसी बनें, आत्मविश्वासी बनें एवं देश को पुनः गुलामी की जंजीरों में जकड़ने से बचायें । राष्ट्र के युवा वीर, साहसी एवं ओज-तेज सम्पन्न होंगे तभी देश को उन्नत कर सकेंगे। स्वयं भी गौरवपूर्ण जीवन जी सकेंगे एवं राष्ट्र को भी गौरवान्वित कर सकेंगे।
शाबाश! भारत के नौजवानो ! शाबाश ! उठो, कमर कसो और जुट पड़ो ‘युवाधन सुरक्षा अभियान’ में… भारत के हर युवक-युवती तक संतों-महापुरुषों का संदेश पहुँचा दो, ताकि हर युवक ध्रुव, प्रह्लाद जैसा भक्त, एकनाथ, नानक, , कबीर-सा महापुरुष अथवा शिवाजी, राणा सांगा, महाराणा प्रताप-सा वीर बन सके और हर युवती स्वयंप्रभा, गार्गी, सुलभा या मदालसा जैसी महान बन सके…
– ऋषि प्रसाद, जुलाई 2004