Napoleon Bonaparte Short Story in Hindi| Sanyami Jeevan Ke Fayde: नेपोलियन के हाथ में सत्ता आने से पहले वहाँ लुई सोलहवें (louis XVI )तथा उसके बोरबोर वंश का राज्य था । उसमें भी वासना और विलासिता काफी बढ़ चुकी थी ।
राजा के प्रमुख सरदारों और सामंतों में भी ‘काम’ रूपी भेड़िया अच्छी तरह से घुस चुका था । आखिर सन् 1789 में वहाँ राज्य-क्रांति हुई और लोगों ने विलासी राजा-रानी और उसके प्रमुख सहायकों को मार डाला ।
इधर नेपोलियन के हाथ में राज्य की बागडोर आ रही थी । वह एक के बाद एक विजय प्राप्त करता जा रहा था । जब नेपोलियन 26 वर्ष का था तब वह एक 36 वर्षीया सुंदरी, जिसका नाम जोजेफीन था और जो चरित्रहीन एवं निर्दयी थी, उसके रूप-लावण्य में गिरफ्तार हो चुका था । उसने उससे विवाह भी कर लिया ।
सन् 1804 में जब उसका राज्याभिषेक हुआ तो उसने जोजेफीन के सिर पर राजमुकुट भी पहनाया ।
उसके कुछ समय बाद नेपोलियन ने उसे तलाक देकर ‘मेरी लूसी’ नामक युवती से विवाह किया । फिर भी वह जोजेफीन के आकर्षण-पाश से मुक्त नहीं हो सका । उसकी वासना की आग बढ़ती ही गयी ।
इतिहास कहता है कि अंत में वाटरलू के युद्ध में जाने से पहले सायं को नेपोलियन स्वयं को पतित बना चुका था । उसका मन उन मलिन विचारों के कारण युद्ध की योजना तथा निर्देशन कार्य में सही रीति से नहीं जुट सका ।
इसका परिणाम यह हुआ कि नेपोलियन के भाग्य का तारा टूट गया । वह बुरी तरह परास्त हुआ और संसार के इतने महान सेनापति का दयनीय अंत हुआ ।
इस हार के जहाँ सैनिक तथा अन्य कारण थे, वहीं काम वासना भी एक कारण थी क्योंकि इससे उसकी मानसिक एकाग्रता में और शारीरिक क्षमता इत्यादि पर बुरा प्रभाव पड़ा था ।
युवावस्था की उम्र तक वह बहुत संयमी रहा जिससे वह सफलता के शिखर पर पहुँचा, परंतु बाद में असंयमी जीवन जीने के कारण उसका पतन हो गया ।