अहमदाबाद की मेनका चंदानी जी जिनको सन् 1974 से पूज्य बापूजी के श्री चरणों में प्रत्यक्ष सत्संग श्रवण का सौभाग्य मिला। वे पूज्य श्री के सत्संग सान्निध्य की महिमा से ओतप्रोत एक अनुभव बताती हैं कि मेरे पिताजी एक मिल में मैनेजर थे। वे धार्मिक तो थे परन्तु संतों पर विश्वास नहीं करते थे। सत्संग में खुद भी नहीं जाते थे और हमको भी नहीं जाने देते थे।

 1981 में उनको गले का कैंसर (Throat cancer) हो गया। डॉक्टरों ने बोला इन्हें टाटा हॉस्पिटल जो मुम्बई में है उधर ले जाओ। मेरे चाचाजी की बापूजी के प्रति बड़ी श्रद्धा थी। वे पिताजी से बोले कि आपको कहाँ ले चलें अस्पताल या बापूजी के पास!

पिताजी ने कहा- “चलो! एक बार बापूजी के पास ले चलो।”

यह सुनकर हम सबको आश्चर्य हुआ कि संतों में श्रद्धा न रखने वाले पिताजी ऐसा बोले। चाचाजी पिताजी को पूज्य श्री के पास ले गये और प्रार्थना की तो बापूजी ने उनकी सारी जाँच रिपोर्टें लेकर अपने पास रख ली और बोले- “तुझे डॉक्टर के पास जाना है या यहाँ पर ठीक होना है..?”

पिताजी ने कहा- “साँईजी आपसे ही ठीक होना है!!”

पूज्य श्री बोले- ‘ठीक है!! फिर इधर आते रहना सत्संग सुनते रहना और चिंता छोड़ देना सब ठीक हो जायेगा। “

सबको आश्चर्य हुआ कि केवल सत्संग श्रवण से व्यक्ति कैसे ठीक होगा। पिताजी नियमित रूप से आश्रम में आकर सत्संग सुनने लगे। सत्संग सुनने मात्र से उनकी चिंता दूर हो गई। बापूजी उनको सात्वंना देते, धैर्य बँधाते, आत्मबल भरते, प्रसाद देते। सत्संग में आने से धीरे-धीरे कैंसर का वह फोड़ा दो तीन माह में ठीक होता गया । बापूजी रोज मेरे पिताजी को प्रसाद देते थे। एक बार एक ऐसा सेवफल दिया जिस पर थोड़ा-सा काला दाग था।

पूज्य श्री वह देते हुए बोले- “इस सेवफल पर जितना दाग है उतना ही तेरा रोग रह गया है! अब इतना डॉक्टर से ठीक करा ले।”

तब तक पिताजी का श्रद्धा विश्वास पक्का हो गया था। 

पिताजी ने कहा- “बापूजी अब मुझे किसी डॉक्टर के पास नहीं जाना, अब आप ही मेरे डॉक्टर हैं मुझे आप ही से ठीक होना है ।”

पूज्य श्री ने कहा- “लेकिन मैं बोलता हूँ तू डॉक्टर के पास जा और थोड़ी सी पट्टी करा ले!!”

आज्ञा मानकर पिताजी ने केवल एक बार मरहम पट्टी करवाई और कुछ ही दिनों में घाव पूरी तरह ठीक हो गया।

एक दिन पूज्य श्री ने वे ही जाँच रिपोर्टें पिताजी को वापस की और बोले- “ये ले जा और उसी डॉक्टर को दिखा !!” डॉक्टर को रिपोर्टें दिखाई तो वह दंग रह गया कि उस समय रिपोर्टों में कैंसर था परन्तु अभी कहाँ गायब हो गया…? फिर तो मेरे पिताजी को पूज्य श्री के सत्संग का गहरा रंग लग गया था। इस तरह बापूजी ने मेरे पिताजी को नया जीवन दिया था।