health benefits of wearing cap topi hat
  • धूप से अपने सिर की रक्षा करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है । धूप में नंगे सिर घूमने से सिर, आँख, नाक व कान के अनेक रोग होते हैं । सिर में गर्म हवा लगने एवं बारिश का पानी पड़ने से भी अनेक रोग होते हैं । धूप के दुष्प्रभाव से ज्ञान तंतुओं को क्षति पहुंचती है, जिससे याददाश्त कम हो जाती है ।
  • पूर्वकाल में हमारे दादा-परदादा नियमित रूप से टोपी या पगड़ी पहनते थे और महिलाएँ हमेशा सिर ढक कर रखती थी । इस कारण उन्हें समय से पूर्व बाल सफेद होना, अत्याधिक बाल झड़ना ( गंजापन ), सर्दी होना, सिर दर्द होना तथा आँख, कान, नाक के बहुत-से रोग इनका इतना सामना नहीं करना पड़ता था ।
  • यदि आप अपने शरीर के उपरोक्त महत्वपूर्ण अंगों की कार्यक्षमता लम्बे समय तक बनाये रखना चाहते हैं तो धूप से अपने सिर की रक्षा कीजिये । इसके लिए टोपी अत्यंत सुविधाजनक तथा उपयोगी है ।
  • आयुर्वेद कहता है :-

उष्णीषं कान्तिकृत्केश्यं रजोवातकफापहम् ।
लघु यच्छस्यते तस्मात् गुरुं पित्ताक्षिरोग कृत् ।।

  • मस्तक पर उष्णीष (पगड़ी, साफा, टोपी आदि) धारण करना कांति की वृद्धि करने वाला केश के लिए हितकारी, धूलि को दूर करनेवाला अर्थात धूलि से बालों को बचानेवाला और वात तथा कफ का नाशक होता है । परंतु ये सब उत्तम लाभ तभी होते हैं जब वह हलका हो ।
  • यदि उष्णीष बहुत भारी हो तो पित्त की वृद्धि और नेत्र संबंधी रोग को उत्पन्न करने वाला होता है । (भावप्रकाश पु.लं., दिनचर्या दी प्रकरण 5.237)
  • सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा एवं होंठों के कैंसर का महत्वपूर्ण कारण मानी जाती हैं । ये किरणें काँचबिंदु जैसी आँखों की विकृतियों को भी जन्म देती है ।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसी टोपियाँ जिनमें किनारों पर कम-से-कम 3 इंच की पट्टी चारों तरफ लगी है, सिर, चेहरा, कानों तथा गले को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती हैं, जिससे स्किन कैंसर से बचाव हो जाता है । घुमावदार टोपियाँ अधिक उपयुक्त होती हैं ।
  • चुनाव-प्रचार में बाँटने वाली सिंथेटिक टोपियां लाभकारी नहीं होतीं, टोपियाँ मोटे कपड़े की होनी चाहिए !
    ➢ ऋषि प्रसाद, मई 2009