पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी
स्वामी विवेकानंद अमेरिका के एक बगीचे में से गुजर रहे थे । उनको सादे कपड़ों में, बिना किसी हैट के खुले सिर देखकर लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ और वे उनका मखौल उड़ाने लगे ।
होएऽ… होएऽऽ…
होएऽऽऽ…
करते हुए वे स्वामीजी के पीछे लग गये ।
स्वामी विवेकानंद आगे-आगे जा रहे थे और मजाक उड़ानेवाले उनके पीछे-पीछे।
थोड़ा आगे चलकर विवेकानंदजी तनिक रुके और बोले : ‘‘भाइयों ! आपके देश में इन्सान की कीमत उसके कपड़ों से होती है, किंतु मैं उस देश का निवासी हूँ जहाँ मनुष्य का चरित्र ही विशेष कीमती है । वहाँ कपड़ों की कोई कीमत नहीं है।’’
मजाक उड़ानेवाले लज्जित हो उठे ।
आप भी अपनी कीमत कपड़ों से मत बनाइये । अपने सच्चरित्र, सदाचार, साहस जैसे सद्गुणों से सुसज्ज रहिये ।