Bankim Chandra Chatterjee Bhagwat Geeta Par Shraddha :

▪ ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिमचंन्द्र चट्टोपाध्याय प्रतिदिन नियमित रूप से गीता का पाठ करते थे ।

▪ एक बार वे बीमार पड़ गये । डॉक्टर ने उन्हें दवा दी, किंतु बंकिम बाबू ने वह दवा बाहर फेंक दी । उन्हें दवा की अपेक्षा गीता में ज्यादा श्रद्धा थी । वे गीता पढ़ने लगे । डॉक्टर यह देखकर चिढ़ते हुए बोला : ‘‘आप आत्महत्या कर रहे हैं ।”

बंकिम बाबू : ‘‘वह कैसे ?”

▪ ‘‘जो मरीज नियमित रूप से दवा नहीं लेता, वह अपने प्राणों से अवश्य हाथ धो बैठता है ।

बंकिम बाबू ने गीता दिखाते हुए कहा : ‘‘किसने कहा मैं दवाई नहीं लेता ? यह रही मेरी दवा ।”

▪ थोड़े ही दिनों में बंकिम बाबू पूर्णरूप से स्वस्थ हो गये । गीता पर उनकी कैसी दृढ़ श्रद्धा थी !

~ बाल संस्कार पाठ्यक्रम से