ग्रहण संबंधी शंका-समाधान
Sharad Purnima Chandra Grahan 2023
28 अक्टूबर 2023, शनिवार को
रात्रि 2:22 (29 अक्टूबर 2:22 AM) के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें । यथासम्भव 1-2 घंटें पुष्ट होने के बाद खा लें ।
खंडग्रास चंद्रग्रहण समाप्ति के बाद (रात्रि 2.22) के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें । यथासम्भव 1-2 घंटें पुष्ट होने के बाद खा लें ।
अनावश्यक नहीं । परंतु समय लंबा होता है सूतक का, पूरा बैठ पाना संभव नहीं होता इसलिए सेवा आदि गतिविधि चालू रख सकते हैं, समस्या नहीं, समय हो तो जप, ध्यान में लगाना चाहिए ।
क्योंकि सूतक काल 4:06 बजे से लग रहा है इसलिए चंद्र ग्रहण में अर्घ्य नहीं देना चाहिए ।
गर्भिणी पर ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ता है । विस्तृत में जाने : Click Here
चन्द्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आने पर चंद्रग्रहण होता है ।
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खंडग्रास चन्द्रग्रहण : 28 अक्टूबर (भारत में समय : रात्रि 1-06 से 2-22 तक अर्थात् 29 अक्टूबर 1-06 AM से 2-22 AM तक)
खंडग्रास चन्द्रग्रहण : 28 अक्टूबर
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भारत में 28 अक्टूबर रात्रि 1-06 (29 अक्टूबर 1-06 AM) अन्य देशों के प्रारम्भ समय देखें इस लिंक से… Click Here
भारत में 28 अक्टूबर 2-22 (29 अक्टूबर 2-22 AM) तक अन्य देशों के प्रारम्भ समय देखें इस लिंक से… Click Here
ग्रहण के समय लघुशंका करने से दरिद्र व मल त्यागने से कीड़ा होता है ।
नहीं, ग्रहण के समय सोने से रोगी हो जाता है ।
चंद्र ग्रहण में सूतक लगने से चंद्र ग्रहण पूर्ण होने तक भोजन करना वर्जीत है ।
कर सकते हैं ।
बिल्कुल नहीं । नारद पुराण के अनुसार – ‘‘चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दिन, उत्तरायण और दक्षिणायन प्रारम्भ होने के दिन कभी अध्ययन न करे । अनध्याय (न पढ़ने के दिनों में) के इन सब समयों में जो अध्ययन करते हैं, उन मूढ़ पुरुषों की संतति, बुद्धि, यश, लक्ष्मी, आयु, बल तथा आरोग्य का साक्षात् यमराज नाश करते हैं ।’’
सूतक लगने से पहले ही पानी में कुशा आदि डाल दें जिससे सूतक के कारण पानी अशुद्ध न हो ।
सुबह पानी पी लीजिये, क्योंकि 2 घण्टे के अंदर अंदर यह पानी पसीने व लघुशंका आदि के द्वारा शरीर से बाहर चला जायेगा ।
ग्रहण के समय पूजा की जगह पर गंगाजल आदि रख लेने से जप का फल भी कई गुना ज्यादा मिलता है ।
इसमें अलग-अलग विचारकों का अलग-अलग मत है । कुछ जानकार लोगों का कहना है कि चूंकि सूतक का समय-अवधि अधिक होने से 12 घंटें का सूतक एवं लगभग 3.5 घंटें ग्रहण का समय टोटल 15.5 घंटें बिना जल-पान का रहना सामान्य तौर पर सबके लिए सम्भव नहीं है अतः सूतक काल में सूतक लगने के पूर्व जल में तिल या कुशा डालकर रखना चाहिए और सूतक के दौरान प्यास लगने पर वही जल पीना चाहिए । इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल-पान के बाद 2 से 4 घंटों के अंदर लघुशंका (पेशाब) की प्रवृत्ति होती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के 4 घंटे पूर्व से जलपान करने से भी बचना चाहिए नहीं तो ग्रहण के दौरान समस्या आती है ।
जला सकते हैं ।
ग्रहणकाल पूरा होने पर स्नान आदि से शुद्ध होने के बाद 6 से 12 ग्राम घृत का सेवन करके ऊपर से गर्मपानी पी लेना चाहिए । शेष बचा ब्राह्मी घृत प्रतिदिन सुबह खाली पेट इसी विधि से 6 से 12 ग्राम ले सकते हैं ।
हाँ, जो व्यक्ति ग्रहणकाल में जितने दाने अन्न के खाता है उतने वर्ष ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है ।
हाँ, धूप अगरबत्ती भी लगा सकते है ।
ग्रहण के समय तेल-मालिश करने या उबटन लगाने से कुष्ठरोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।
हाँ, साथ ही अधिक से अधिक जप करना चाहिए ।
ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग आंखों के लिए अधिक हानिकारक है ।
ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है ।
चन्द्रग्रहण में 3 प्रहर (9 घंटे) पहले से सूतक माना जाता है । इस समय सशक्त व्यक्तियों को भोजन छोड़ देना चाहिए । इससे आयु, आरोग्य, बुद्धि की विलक्षणता बनी रहेगी । लेकिन जो बालक, बूढ़े, बीमार व गर्भवती स्त्रियाँ हैं वे ग्रहण से 1 से 1.5 प्रहर (3 से 4.5 घंटे) पहले तक चुपचाप कुछ खा-पी लें तो चल सकता है ।
सूतक लगने से पहले भोजन कर लीजिए उसके बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति (बच्चे, बुढ़े, गर्भिणी स्त्रियों व रोगियों को छोड़कर) भोजन नहीं करें ।
चंद्र ग्रहण में खाना नहीं बनाना चाहिए ।
ग्रहण के समय नहीं सोना चाहिए , जो नींद करता है उसको रोग जरूर पकड़ेगा, उसकी रोगप्रतिकारकता का गला घुटेगा ।
सूतक से पहले ही तुलसी पत्र कुशा आदि तोड़कर रख लें (अनाज, खाद्य पदार्थों में रखने हेतु),
ध्यान रखें कि दूध में कभी भी तुलसी पत्र नहीं डाला जाता ।
नोट : रविवार को तुलसी न तोड़ सकते हैं न खा सकते हैं ।
चंद्रग्रहण प्रारम्भ होने से तीन प्रहर (9 घंटे) पूर्व सूतक (ग्रहण-वेध) प्रारम्भ हो जाता है ।
उदाहरण : भारत में ग्रहण समय – रात्रि 28 अक्टूबर रात्रि 1-06 से 2-22 (29 अक्टूबर 1-06 AM से 2-22 AM) तक तो भारत में सूतक प्रारम्भ शाम 4:06 बजे से…
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योगासन नहीं करके हमें ग्रहणकाल में जप करना चाहिए ।
सो सकते हैं लेकिन चूंकि सोकर तुरंत उठने के बाद जल-पान, लघुशंका-शौच आदि की स्वाभाविक प्रवृत्ति की आवश्यकता पड़ती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के करीब 4 घंटें पहले उठ जाना चाहिए जिससे लघुशंका-शौच आदि की आवश्यकता होने पर इनसे निवृत्त हो सके और ग्रहणकाल में समस्या न आये ।
ग्रहणकाल में पकाया गया या बचा हुआ भोजन दूषित हो जाता है ।
ग्रहण के समय बाहर न जायें न ही ग्रहण को देखें ।
नहीं, ग्रहण के पश्च्यात करना चाहिए ।
हाँ, वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए ।
नहीं, सूतक काल लगने के बाद से ही कुछ खाना-पीना वर्जीत है ।
ग्रहण में चंद्र या सूर्य की किरणों का प्रभाव कुछ समय के लिए बंद हो जाता है और ग्रहण में चंद्र के दर्शन वर्जीत हैं ।
मांसाहार करना जानलेवा बीमारियों को आमंत्रण देना है ।
जरूरी नहीं, पर ध्यान रहें कि ग्रहण के समय जिसका ग्रहण हो उसे ना देखें ।
लैपटॉप, कंप्यूटर या अन्य पर कोई भी काम करना वर्जीत है ।
ग्रहणकाल में क्या करें क्या न करें एवं विस्तार से संपूर्ण जानकारी पढ़ें : Click Here