Til Ke Tel Ke Fayde (For Hair, Weight Loss, Skin) Benefits

Til Ke Tel Ke Fayde in Hindi (Benefits of Til Tel). Til Ka Tel For Hair, Weight Loss, Skin Benefits

  • तेलों में तिल का तेल सर्वश्रेष्ठ है । यह उत्तम वायुशामक है । आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ भावप्रकाश निघंटु में तिल के तेल के निम्नलिखित गुणों का वर्णन कर उसकी महिमा गायी गयी है :
  • बल-वीर्य, जठराग्नि तथा रस-रक्तादि बढ़ाने वाला, बुद्धिदायक व मेधा के लिए हितकर ।
  • त्वचा के रंग में उत्तम निखार लानेवाला, गर्भाशय का शोधन करनेवाला तथा मल व मूत्र को साफ लानेवाला ।
  • कान, योनि व सिर के दर्द में लाभदायी तथा कफशामक एवं प्रमेह (20 प्रकार के मूत्रसंबंधी विकार जैसे – मधुमेह, शुक्रमेह अर्थात् मूत्र के साथ वीर्य धातु का निकल जाना आदि) को दूर करनेवाला ।
  • शरीर की मालिश करने से त्वचा, बालों व आँखों के लिए हितकर ।
  • घाव होने, जलने, हड्डियों के अपने स्थान से हटने, चोट लगने, किसी अंग के टेढे होने तथा वन्य व हिंसक पशुओं से घायल हो जाने पर लगाने या मालिश करने में हितकर । छौंकने, सेंकने, नस्य लेने तथा मालिश करने, कानों में डालने में उत्तम ।
  • महर्षि चरक के अनुसार, ‘तिल का तेल बलवर्धक, त्वचा के लिए हितकर, गर्म एवं शरीर स्थिरता देनेवाला है । यह दुर्बल शरीर में चरबी बढ़ाता है व स्थूल शरीर से चरबी घटाता है अर्थात् दुबले-पतले लोगों में वजन बढ़ाने में सहायक एवं मोटापे को कम करनेवाला है । यह कार्य तेल के द्वारा सप्तधातुओं के प्राकृत निर्माण से होता है ।
  • अपनी स्निग्धता, तरलता और उष्णता के कारण शरीर के सूक्ष्म स्रोतों में प्रवेश कर यह दोषों को जड़ से उखाड़ने तथा शरीर के सभी अवयवों को दृढ़ व मुलायम रखने का कार्य करता है ।
  • आधुनिक विज्ञान के अनुसार तिल का तेल विटामिन्स, खनिज लवणों व अन्य पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है । यह हड्डियों की वृद्धि करता है व उन्हें मजबूत बनाता है। कोलेस्ट्रॉल व रक्तचाप (Blood pressure) को कम करता है । हृदय को स्वस्थ रखता है तथा पाचनतंत्र को सक्रिय करता है। यह अवसाद, गठिया में लाभकारी है व मधुमेह, कैसर, दमा आदि से सुरक्षा प्रदान करता है ।
  • तिल के तेल की मालिश करके सूर्यस्नान करने से त्वचा मुलायम व चमकदार होती है तथा त्वचा में ढीलापन, झुर्रियाँ और अकाल वार्धक्य नहीं आता । इससे की गयी मालिश मजबूती व स्फूर्ति लाती है ।
  • सोंठ, लहसुन आदि डालकर गर्म किये हुए तिल के तेल की मालिश करने से कमर व जोड़ों का दर्द, अंग का जकड़ना, लकवा आदि वायु रोगों में लाभ होता है ।
  • सावधानी : रक्तपित्त में तिल के तेल का सावधानी से सेवन करें। यह उष्ण प्रकृति का होने से इसका अधिक व सतत उपयोग त्वचा, बालों व नेत्रों के लिए अहितकर होता है। अतः उचित मात्रा में व शीत ऋतु में सेवनीय हैं ।
  • तेल की उचित मात्रा : व्यक्ति, आयु व ऋतु अनुसार ।
    ➢ लोक कल्याण सेतु, अगस्त 2017