Life Me Sabse Important Kya hai Health, Wealth, Family (Pita, Mata, Beta, Mitra/ Friend/ Wife Or Gurudev. SadGuru Ki Sabse Jada Zarurat hai: किसी नदी को समुद्र के संगम के निकट निहारने वालों को शायद ही ख्याल आता होगा कि यह शांत, सौम्य, सुखी सरिता कभी तो पर्वत के ऊपर से नीचे बहती हुई…., पत्थरों से टकराती हुई…., मार्ग में अनेक अवरोधों को सहन करती हुई…., सतत् पुरुषार्थ करती हुई…., साहसपूर्ण, एकाकी कदम आगे बढ़ाती हुई…., हृदय में आशा का तंतु बाँधती हुई…. आखिर में समुद्र-मिलन के उसके महान ध्येय तक पहुँच सकी है।
ठीक उसी प्रकार विश्वप्रसिद्ध संत श्री आशारामजी बापू, जिन्होंने आज परब्रह्म-परमात्मरूपी महासागर में संगम-आत्मैक्य कर लिया है, वे भी कभी ‘परथम पहेलुं मस्तक मूकी, वळती लेवुं नाम जोने. संत दारा शीश समरपे, ते पामे रस पीवा जोने.’ (पूर्णता को प्राप्त संत प्रीतमदास जी का यह वचन है कि ‘अपने पुत्र-परिवार, धन-सम्पदा आदि सहित अपने शीश यानी अपने देहाभिमान को भी परमात्मा को, सद्गुरु को समर्पित करने की तैयारी रखो फिर पूर्ण ज्ञान की, परमात्मप्राप्ति की अपेक्षा करना। ऐसे शूरवीर साधक को ही भगवद्-रस पीने का सौभाग्य प्राप्त होता है।)
ऐसे अटल निश्चय को हृदय में धारण करके परमात्मप्राप्ति को ही अपने जीवन का ध्रुव लक्ष्य बनाकर अपनी माता, भाई-बहन, पत्नी आदि सभी को छोड़ के गुरु मिलन के उद्देश्य से निकल पड़े थे।