Yuvadhan Ki Suraksha | Rakhi ka Sutra | Raksha Bandhan Special on Brahmacharya
- कैसी दिव्य है भारतीय संस्कृति ! पड़ोस के भाई या बहन के प्रति मन में थोड़ा-सा विकारी भाव उत्पन्न हुआ तो यह ऋषि-परंपरा से चला आया, ऋषियों की प्रसादी ले आया, रक्षा के संकल्प से संपन्न नन्हा-सा, पतला-सा, दिव्य भावना से भरा राखी का धागा बहन ने भाई को बाँधा ( रक्षाबंधन ) और भाव अच्छे हो गये ।
नजरें बदलीं तो नजारे बदले ।
किश्ती ने बदला रुख तो किनारे बदले ॥
- राखी कितनी कीमती है इसका महत्व नहीं है । बाँधने वाले का भाव और बंधवानेवाले की दृढ़ता जितनी अधिक है, उतना ही अधिक फल होता है ।
- आप अगर ईमानदारी से चाहें तो इस सुरक्षा के धागे का फायदा ( आज का युवान जो पड़ोस की बहन को बहन कहने की योग्यता खो बैठा है, युवती जो पड़ोस के भाई को भाई कहने की योग्यता खो बैठी है ), वह योग्यता फिर से विकसित हो सकती है । इससे संयम बढ़ेगा, ब्रह्मचर्य एवं युवाधन की रक्षा होगी ।
- आपके अंदर ब्रह्मचर्य, स्वास्थ्य और देश की रक्षा करने का ऋषि-ज्ञान नहीं है तो दूसरे लोग आपको क्या ऊपर उठायेंगे ??
- कोई भी आपको ऊपर नहीं उठायेगा; ऊपर तो आपको आपका आत्मा उठायेगा, आपकी संस्कृति उठाएगी – आपका ज्ञान उठायेगा । इसलिए आप अपनी दिव्य संस्कृति की प्रसादी को, ऋषियों के ज्ञान को जीवन में लायें और जीवन को उन्नत बनायें ।
- – ऋषि प्रसाद, अगस्त 2005