- सत्संग-प्रसंग पर एक जिज्ञासु ने पूज्य बापू जी से प्रश्न कियाः “स्वामी जी ! कृपा करके बतायें कि हमें अभ्यास में रूचि क्यों नहीं होती ?” पूज्य स्वामी जीः “बाबा ! अभ्यास में तब मजा आयेगा जब उसकी जरूरत महसूस करोगे ।”
- एक बार एक सियार (गीदड़) को खूब प्यास लगी। प्यास से व्याकुल होकर दौड़ता-दौड़ता वह एक नदी के किनारे गया और जल्दी-जल्दी पानी पीने लगा । सियार के पानी पीने की इतनी तड़प देखकर नदी में रहने वाली एक मछली ने उससे पूछाः “सियार मामा ! तुम्हें पानी से इतना सारा मजा क्यों आता है ? मुझे तो पानी में इतना मजा नहीं आता ।”
- सियार ने जवाब दियाः “मुझे पानी से इतना मजा क्यों आता है यह तुझे जानना है ?” मछली ने कहाः “हाँ मामा !”
- सियार ने तुरन्त ही मछली को गले से पकड़कर तपते हुए बालू पर फेंक दिया । मछली बेचारी पानी के बिना बहुत छटपटाने लगी, खूब परेशान हो गई और मृत्यु के एकदम निकट आ गयी ।
- तब सियार ने उसे पुनः पानी में डाल दिया ।
- फिर मछली से पूछाः “क्यों ? अब तुझे पानी में मजा आने का कारण समझ में आया ?”
- मछलीः “हाँ, अब मुझे पता चला कि पानी ही मेरा जीवन है । इसके सिवाय मेरा जीना असम्भव है ।”
- इस प्रकार मछली की तरह जब तुम भी अभ्यास की जरूरत महसूस करोगे तब तुम अभ्यास के बिना रह नहीं सकोगे । रात-दिन उसी में लगे रहोगे ।
- एक बार गुरू नानकदेव से उनकी माता ने पूछाः “बेटा ! रात दिन क्या बोलता रहता है ?”
- नानकजी ने कहाः “माता जी ! आखां जीवां विसरे जाय । रात दिन जब मैं अकाल पुरूष के नाम का स्मरण करता हूँ तभी तो जीवित रह सकता हूँ । यदि नहीं जपूँ तो मेरा जीना मुश्किल है । यह सब प्रभुनाम स्मरण की कृपा है ।”