जवानी में कुछ नहीं करेंगे तो बुढ़ापे में क्या पुरुषार्थ होगा ?

सब काम अवसर पर होते हैं । रात को 2 बजे चोर चोरी करके भाग सकता है परंतु दिन को लोगों के सामने चोरी करके भागना उसके लिए कठिन है । सर्दियों में बोयी जानेवाली फसल यदि गर्मियों में एवं गर्मियों में बोयी जानेवाली फसल सर्दियों में बोयी जायेगी तो अच्छा फल नहीं देगी । सब काम अवसर पर ही होते हैं । ऋतुएँ किस तरह मौसम बदलती रहती हैं । चौमासा भी यथा अवसर आरम्भ होता है। वृक्ष भी ऋतु के अनुसार फल देते हैं । विद्यार्थी भी आरम्भ में बेपरवाह रहेगा तो वार्षिक परीक्षा में कभी विजय प्राप्त नहीं कर सकेगा । अतः हमें भी अवसर गंवाना नहीं चाहिए ।

यदि हम जवानी में कुछ नहीं करेंगे तो बाद में बुढ़ापे में जब पराधीन बनेंगे, पर चलने से चूकेंगे, हड्डियाँ निर्बल हो जायेंगी, स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा, तब उस समय हमारा क्या पुरुषार्थ हो सकेगा तब तो ‘हाय-हाय!’ करने के अतिरिक्त कुछ न होगा । ठीक ही कहा है ~

क्यों न जपा राम, जब देह में आराम थाक्यों न किया दान, जब घर में सामान था क्यों न किया व्यापार, जब खुली रुस्तम बाजार जय होवे हड़ताल, तब सौदा याद पड़ा । इस जग विच आयके, जे भजो हरि नाम, खाना पीना पहनना, होवन सब हराम ।

– ब्रह्मलीन भगवत्पाद साईं श्री लीलाशाहजी महाराज