क्या आपको ब्राह्मी घृत नहीं मिल पाया ?
- तो क्या आप ग्रहण के इस विशेष योग का लाभ लेने से वंचित रह जायेंगे ???
- नहीं… !!!
- निम्न विधि द्वारा आप अपने घर पर ही ब्राह्मी घृत तैयार कर सकते हैं । आइये सीखते हैं –
आवश्यक सामग्री ( 100 ग्राम ब्राह्मी घृत बनाने के लिए )
- 100 ग्राम ब्राह्मी के सूखे पत्ते ( न मिलने पर ब्राह्मी चूर्ण भी उपयोग कर सकते हैं )
- वचा चूर्ण – 13 ग्राम
- शंखपुष्पी चूर्ण – 13 ग्राम
- कुष्ठ ( उपलेट ) चूर्ण – 13 ग्राम
- 100 ग्राम गौ-घृत
- 1700 मि.ली. पानी
How to Make Brahmi Ghrita [Brahmi Ghee Banane Ki Vidhi]
- क्र. 1 से 4 के द्रव्यों को 12 गुना यानि लगभग 1700 मि.ली. पानी में 6 घंटे के लिए भिगोकर रख दें ।
उसके बाद उसे उबालकर एक चौथाई (425 मि.ली.) कर लें । छानकर इस काढ़े में 100 ग्राम गौ-घृत मिलाएं । - फिर धीमी आँच पर इतना पकाएं कि जलीय अंश जल जाए और केवल घृत रह जाए । घृत बन जाने पर ऊपर की झाग शान्त हो जाती है । फिर उसे छान कर काँच या स्टील के बर्तन में रख लें ।
- इस प्रकार आप अपने घर पर ही ब्राह्मी घृत तैयार कर सकते हैं ।
उपयोग विधि [How to Use Brahmi Ghirta]
- ग्रहणकाल के दौरान ब्राह्मी घृत को निहारते हुए अपने बाएं हाथ की अनामिका उंगली से घृत को स्पर्श करते हुए 8,000 बार ( 80 माला ) “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप करें ।
सेवन विधि [When should I take Brahmi Ghee]
- ग्रहणकाल पूरा होने पर स्नान आदि से शुद्ध होने के बाद 6-12 ग्राम घृत का सेवन करें । शेष ब्राह्मी घृत प्रतिदिन सुबह 6 से 12 ग्राम ले सकते हैं ।
How to Take Brahmi Ghrita
- जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें :- Click Here
- नोट : अगर ब्राह्मी के अतिरिक्त चीजें न मिल पाएं तो मात्र ब्राह्मी में 12 गुना पानी मिलाकर भी उपरोक्त विधि से घृत सिद्ध करके उपयोग कर सकते हैं ।
ब्राह्मी घृत [Achyutaya Brahmi Ghrita]
इसके सेवन से अपस्मार, उन्माद, बुद्धि की दुर्बलता, मनोदोष, स्मरणशक्ति की कमी, दिमाग की कमजोरी, वातरक्त तथा कुष्ठ रोग दूर होते हैं ।