Importance of Brahmacharya for Students in Hindi. Sanyam Ka Palan Jaruri Kyu Hai [ब्रह्मचर्य का महत्व] :
➠ सदाचारी एवं संयमी व्यक्ति ही जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। सुखी सम्मानित होना हो, तब भी ब्रह्मचर्य की जरूरत है और उत्तम स्वास्थ्य व लम्बी आयु चाहिए, तब भी ब्रह्मचर्य की जरूरत है।
➠ सिर्फ व्यक्तिगत लाभ के लिए ही नहीं अपितु सामाजिक स्वास्थ्य, पारिवारिक व्यवस्था के लिए और ‘टीन एज प्रेगनेंसी’ ( किशोरावस्था में गर्भधारण ) से पैदा होने वाले विराट समस्याओं से राष्ट्र की रक्षा करने के लिए भी ब्रह्मचर्य की अनिवार्य आवश्यकता है ।
➠ भारत के ऋषि पहले से ही ब्रह्मचर्य से होने वाले लाभों के बारे में बता चुके हैं । ब्रह्मचर्य से होने वाले लाभों को अब आधुनिक विज्ञान भी स्वीकार कर रहा है ।
➠ यू.के. के ‘बायोजेन्टॉलॉजी रिसर्च फाउंडेशन’ नामक एक विशेषज्ञ समूह के निदेशक प्रोफेसर आलेक्स ने दावा
किया है कि ‘शारीरिक संबंध मनुष्य को उसकी पूरी क्षमता तक जीने से रोकता है । इंसान शारीरिक संबंध बनाना छोड़ दे तो वह 150 साल तक जी सकता है । ब्रह्मचर्य का पालन न करने वाले, असंयमित जीवन जीने वाले व्यक्ति क्रोध, ईर्ष्या, आलस्य, भय, तनाव आदि का शिकार बन जाते हैं । ‘
➠ ‘द हेरिटेज सेंटर फॉर डाटा एनालिसिस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘अवसाद’ (डिप्रेशन) से पीड़ित रहने वाली किशोरियों में संयमी लड़कियों की अपेक्षा यौन-संबंध बनाने वाली लड़कियों की संख्या तीन गुना से अधिक है । आत्महत्या का प्रयास करने वाली किशोरियों में संयमी लड़कियों की अपेक्षा यौन-संबंध बनाने वाली लड़कियों की संख्या लगभग तीन गुना अधिक है ।’
➠ अवसाद से ग्रस्त रहने वाले किशोरों में संयमी लड़कों की अपेक्षा यौन-संबंध बनाने वाले लड़कों की संख्या दोगुना से अधिक है । आत्महत्या का प्रयास करने वाले किशोरों में संयमी लड़कों की अपेक्षा यौन -संबंध बनाने वाले लड़कों की संख्या आठ गुना से अधिक है ।
➠ किशोरावस्था में पीयूष ग्रंथि के अधिक सक्रिय होने से बच्चों के मनोभाव तीव्र हो जाते हैं और ऐसी अवस्था में उनको संयम का मार्गदर्शन देने के बदले परम्परागत चारित्रिक मूल्यों को नष्ट करने वाले मीडिया के गंदे विज्ञापनों, सीरियलों, अश्लील चलचित्रों तथा सामयिकों द्वारा यौन-वासना भड़कानेवाला वातावरण दिया जाता है । इससे कई किशोर-किशोरियाँ भावनात्मक रूप से असंतुलित हो जाते हैं और न करने जैसे कृत्यों की तरफ प्रवृत्त होने लगते हैं ।
➠ उम्र के ऐसे नाजुक समय में यदि किशोरों, युवाओं को गलत आदतों से हस्तमैथुन, स्वप्नदोष आदि से होनेवाली हानियों के बारे में जानकारी देकर सावधान नहीं किया जाता है तो वे अनेक शारीरिक व मानसिक परेशानियों की खाई में जा गिरते हैं । इस समय भावनाओं को सही दिशा देने के लिए किशोर-किशोरियों में संयम के संस्कार डालना आवश्यक है । यही कार्य ‘दिव्य प्रेरणा-प्रकाश’ ज्ञान प्रतियोगिता व इससे संबंधित पुस्तकों के माध्यम से छात्र – छात्राओं की सर्वांगीण उन्नति हेतु किया जा रहा है । क्या छात्र-छात्राओं को सच्चरित्रता, संयम और नैतिकता की शिक्षा देना गलत है ??
~ ऋषि प्रसाद, नवंबर 2007