How to Overcome Lust Thoughts in Hindi. Mann me Bure Vicharo se Kaise Bache :-

विकृत मैथुन के द्वारा क्षणिक सुखाभास लेने की प्रवृत्ति बहुत ही हानिकारक है। शुरुआत में इनसे होनेवाले नुकसान की युवक-युवतियों को जानकारी नहीं होती और जब उन्हें जानकारी होती है, तब तक बहुत हानि हो चुकी होती है। ऐसी अवस्था में वे हीन ग्रंथि से पीड़ित होकर अंत में निराशा की खाई में जा गिरते हैं।

➠ शरीर और मन का गहरा संबध है। मन के विचारों का शरीर पर बड़ा गहरा असर पड़ता है। युवक-युवतियों को हस्तमैथुन आदि कुकर्म से जो नुकसान होता है, उसकी जानकारी होने पर यदि वे यह धारणा बना लें कि ‘हम खत्म हो गए, जिंदगी जीने के लिए हम बिल्कुल बेकार हो गये ।’ तो इस हीन भावना से ज्यादा नुकसान होने की सम्भावना हो जाती है। ऐसे निराशावादी एवं भय वाले विचार ही उसे हतवीर्य कर डालेंगे ।

➠ तो सबसे पहले यह चिंता छोड़ दो कि ‘अब मेरा क्या होगा ?  क्या मैं फिर से स्वास्थ्य-लाभ प्राप्त कर सकूँगा ?’ इस प्रकार के निराशावादी विचारों को तिलांजलि देकर प्रसन्न और प्रफुल्लित रहना प्रारम्भ कर दो। पीछे कितना वीर्यनाश हो चुका है उसकी चिंता छोड़कर ‘अब कैसे वीर्यरक्षण हो सके’ इसके लिए उपाय करने हेतु कमर कस लो।

काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकारों से मुक्त होने का एक उपाय यह भी है कि सुखासन में बैठकर श्वास अंदर जितना भर सकते हो भरो और यह भावना करो कि ‘इस श्वास द्वारा पूर्ण आरोग्य, पूर्ण ब्रह्मचर्य, पूर्ण उत्साह, अद्भुत पुरुषार्थ-शक्ति, क्षमा, उदारता आदि दिव्य गुण मेरे अंदर समाहित हो रहे हैं, वीर्य का ऊर्ध्वगमन हो रहा है। फिर धीरे-धीरे श्वास बाहर छोड़ दो। श्वास बाहर छोड़ते समय सोचो कि ‘इस उच्छ्वास के साथ काम, क्रोध, मोहादि विकार बाहर निकल रहे हैं। रोगों का नाश हो रहा है। मैं वास्तव में निर्विकार तेजोमय आत्मस्वरूप हूँ ।’

➠ अंतःकरण-शुद्धि के लिए उपरोक्त दोनों प्रकार की भावना कम-से-कम ५-७ बार करनी चाहिए। इस बैठक के समय अथवा उसकी चिंता जीवन के प्रत्येक क्षण में युवक ‘मैं पूर्ण आरोग्यमय देहवाला निर्विकार आत्मा हूँ’, ऐसा मानेगा तो स्वास्थ्य, उत्साह का प्रतिरूप बनकर जीवन जियेगा।