Gulkand Khane Ke Fayde in Hindi, Gulkand Benefits for Liver etc

Gulkand Khane Ke Fayde in Hindi, Rose Gulkand Benefits:

  • गर्मी के दिनों में शारीरिक गर्मी बढ़ने से दाह, जलन, पित्तदोष आदि विकारों का सामना करना पड़ता है । अतः पहले से ही शरीर को ठंडक पहुँचाने वाले  पित्तशामक पदार्थों का सेवन शुरू करना हितकारी है । ऐसे पदार्थों में एक प्रमुख पदार्थ है ‘गुलकंद’ ।
  • आश्रम में प्रवालपिष्टी, जात्री, सौंफ और इलायची से युक्त गुलकंद बनाया गया है, जो बाजारू गुलकंद से अधिक गुणकारी व प्रभावशाली है ।

Gulkand Khane Ke Fayde [Gulkand Benefits]

  • प्रवाल आदि सामग्री से युक्त गुलकंद में गुलकंद के गुणों के साथ-साथ इन पदार्थों के लाभकारी गुणधर्मों का भी पूर्णरूप से समावेश रहता है । इससे यह पित्तदोष, रक्तपित्त, रक्तचाप, कब्ज, प्यास की अधिकता, आन्तरिक गर्मी बढ़ना, जलन आदि विकारों को नष्ट करता है और मस्तिष्क को ठंडक पहुँचाता है ।
  • इसका सेवन स्त्रियों के गर्भाशय की गर्मी का शमन करता है और मासिक धर्म में अधिक रक्त जाना (अत्यार्तव) आदि गर्भाशयिक दोषों को भी नष्ट करता है । हाथ-पैर और तलवों में जलन रहना, आँखों में जलन होना, गर्मी के प्रभाव से आँखें लाल हो जाना, गर्मी के कारण त्वचा का रंग काला पड़ जाना, शरीर में छोटी-छोटी दानेदार फूंसियाँ होना, पसीना अधिक आना, आँखों से गर्म पानी निकलना, पेशाब गर्म, लाल और जलन के साथ होना, खाज-खुजली होना आदि विकारों में इसका सेवन अत्यंत लाभकारी है । गर्मी के दिनों में सुबह के समय इसका नित्य सेवन गर्मी से होने वाले दुष्प्रभावों से शरीर की रक्षा करता है और शारीरिक गर्मी के उद्रेक होने का भय नहीं रहता ।
  • पूज्य बापूजी के एकांत आश्रमों में गुलाब के बगीचे हैं । उनसे विधिवत् गुलकंद बनाया जाता है । गुलाब के फूलों को अच्छी तरह धोकर उनकी पंखुड़ियों निकाल ली जाती है । फिर उनमें उचित मात्रा में चीनी मिलायी जाती है । इस मिश्रण को बर्तन में रखकर ऊपर से कपड़ा बांधकर 60 दिनों तक सूर्य की धूप व चन्द्रमा की चाँदनी में रखकर पुष्ट किया जाता है । फिर उसमें प्रवालपिष्टी, जावंत्री और इलायची मिलायी जाती है जो कि क्रमशः तीन हजार रुपये, एक हजार रुपये और सात सौ रुपये प्रति किलो मिलती है ।
  • आप अपने घर में उपर्युक्त विधि से गुलकंद बनायें अथवा आश्रम द्वारा बनाये गये गुलकंद का लाभ लें ।
  • प्राप्तिस्थान : संत श्री आशारामजी आश्रम व आश्रम की सेवा समितियाँ ।
    – ऋषि प्रसाद, मई 2003