sabhi desh vasiyon ka mangal ho
  • ‘वेलेंटाइन डे’ के दिन लड़के – लड़कियाँ एक दूसरे को फूल देकर ‘आई लव यू’ बोलते हैं । 28 विकसित देशों में हर साल 13 से 19 साल तक की 12,50,000 लड़कियाँ गर्भवती हो जाती हैं । उनमें से लगभग 5 लाख तो गर्भपात कराती हैं और 7,50,000 बच्चियाँ माँ बन के या तो सरकारी नर्सिंग होम, सरकार एवं माँ-बाप पर बोझ बन जाती हैं या तो फिर वेश्या का धंधा आदि करती हैं । तो यह गंदगी अब हमारे देश में आ गयी है । ‘वेलेंटाइन डे’ पर 5 महानगरों में सैकड़ों करोड़ की दारू बिकी जिसे निर्दोष बच्चे – बच्चियों ने पिया । सैकड़ों लड़के – लड़कियाँ भाग जाते हैं 14 फरवरी को ।
  • यदि लड़का दारू पीकर पड़ा रहे तो उसकी माँ कितनी दुःखी होगी ! स्कूल में जाने वाली लड़की दारू पिये तो उस लड़की से उसकी माँ क्या उम्मीद कर सकती है और क्या उम्मीद कर सकता है वह जो उससे विवाह करेगा ?
  • यह बड़ा गम्भीर विषय है ! तो मेरा हृदय पीड़ित हो गया । इसीलिए मैंने भगवान को प्रार्थना की और भगवान ने मुझे प्रेरित कर दिया ।
  • मैंने 14 फरवरी को ‘वेलेंटाइन डे’ की जगह ‘मातृ – पितृ पूजन दिवस’ मनाने का आह्वान किया । बच्चे-बच्चियाँ ‘प्रेम दिवस’ मनायें लेकिन अपने माँ – बाप को प्रेम करें । माँ – बाप ऐसे ही मेहरबान होते हैं लेकिन उन मेहरबान माता – पिता को जब आप तिलक करोगे, बेटा पिता को तिलक करे व चरण धोये और बेटी माता को तिलक करे व चरण धोये, दोनों को हार पहनायें और उनकी प्रदक्षिणा करें तो माँ – बाप तो मेहरबान होंगे लेकिन माँ – बाप का जो अंतरात्मा है वह भी बरस जायेगा और मेरे बच्चे-बच्चियों की जिंदगी सँवर जायेगी । मैंने फिर ‘मातृ – पितृ पूजन दिवस’ शुरू किया । गणपतिजी का पूजन करो, भगवान सद्बुद्धि देंगे; माँ – बाप की भी जिंदगी सँवरेगी और बच्चे – बच्चियों की भी जिंदगी सँवरेगी ।
  • ‘वेलेंटाइन डे’ की जगह पर ‘मातृ – पितृ पूजन दिवस’ मनाओ, मैं यही भिक्षा माँगता हूँ आप लोगों से बस ! करोड़ों माताओं व पिताओं के दिल की दुआ ले लो । हजारों – लाखों बच्चों की नष्ट होती जिंदगी को बचा लो, बस । मुझे आपका रुपया – पैसा कुछ नहीं चाहिए । आप मेरी ‘जय’ बोलो तो मुझे अच्छा नहीं लगता । फूल की पंखुड़ी भी आपकी मुझे नहीं चाहिए लेकिन आपका स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन हो, यह मैं चाहता हूँ । मैं यह नहीं चाहता कि मेरे को कोई यश दो, भले सभी सरकारों को यश जाय लेकिन बच्चों की जिंदगी तबाही से बचे और उनके माँ – बाप बुढ़ापे में कराहने से बचें । जो छोरे अपने को नहीं सँभाल पाते हैं वे बूढे माँ – बाप की क्या सेवा करेंगे ! विदेशों की तरह नर्सिंग होम में रख देंगे । हमारे यहाँ भी माँ – बाप के लिए वृद्धाश्रमों की जरूरत पड़ रही है, शर्म की बात है ! नहीं… नहीं… बच्चों की देखभाल माँ – बाप करें और माँ – बाप की देखभाल बच्चे करें, यह हमारी भारतीय संस्कृति है ।
  • चाहे ईसाई के बच्चे हों, वे भी उन्नत हों और ईसाई, मुसलमान, पारसी, यहूदी… सभी के माता – पिता संतुष्ट रहें । किसके माता-पिता चाहेंगे कि हमारे बेटे – बेटियाँ विद्यार्थीकाल में एक-दूसरे को फूल दें, ‘आई लव यू, लव यू…’ करके कुकर्म करें और यादशक्ति गँवा दें ! किसी के भी माँ – बाप ऐसा नहीं चाहेंगे । इसीलिए मैंने यह अभियान शुरू किया है और यह अभियान जिनको अच्छा नहीं लगता है वे कुछ-का-कुछ करवाकर मेरे को बदनाम करना चाहते हैं । यह मेरी बदनामी नहीं है, मानवता की बदनामी है भैया ! मैं हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ, मेरी बदनामी आप खूब करो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है । बस, एक मानवता के उत्थान में आप अड़चन मत बनो । आप तो सहभागी हो जाओ ।
  • सभी धर्मों को लाभान्वित कर रहा है मातृ-पितृ पूजन दिवस …
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
  • भारत ‘हिन्दू भवन्तु सुखिनः नहीं कहता है, ‘सर्वे कहता है । ‘सर्वे’ में ईसाई, पारसी सब आ गये ।  अभी मैं ‘मातृ – पितृ पूजन दिवस’ के लिए सिर्फ हिन्दुओं को नहीं आवाहन करता हूँ कि ‘हिन्दू बच्चे मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाओ’ – ऐसा नहीं सभी मनाओ ।
  • कोई ईसाई नहीं चाहता कि मेरी कन्या विद्यालय जाते – जाते गर्भवती हो जाय । कोई मुसलमान या यहूदी, पारसी भी नहीं चाहता है तो हिन्दू कैसे चाहेगा कि मेरी कन्या विद्यालय में जाय और हवस की शिकार बन जाय । तो सभी मुसलमानों का, सभी ईसाइयों, यहूदियों, पारसियों तथा हिन्दुओं का भविष्य मंगलमय हो और उनके बच्चों का जीवन मंगलमय हो इसीलिए मैंने मातृ पितृ पूजन दिवस अभियान छेड़ा है ।
  • ईसाई अपने माँ – बाप का पूजन करो , मुसलमान अपने अम्मा – अब्बाजान का पूजन सत्कार करो लेकिन ‘आई लव यू’, ‘तू नहीं तो और सही’ – यह लोफरों का रास्ता छोड़ो, नेक इन्सान बनो । आपके अब्बा – दादा ऐसे थे क्या ?
  • बुद्ध ने ‘वेलेंटाइन डे’ मनाया होता तो ‘भगवान बुद्ध नहीं होते । हमने ऐसा किया होता तो हम ‘आशाराम बापू’ नहीं बनते । नरेन्द्रजी ने ऐसा किया होता तो ‘स्वामी विवेकानंद’ नहीं बनते ।
  • अतः मैं तो चाहूँगा कि भारत के युवक – युवतियाँ तो माँ – बाप का आदर-पूजन करें लेकिन जो बेचारे विदेशी भटक गये हैं वे भी अपने माता – पिता का आदर करें । हम पड़ोस की बहन फूल देकर बुरी नजर से देखें, पड़ोस की बहन हमको बुरी नजर से देखें –
  • काहें को ऐसा करना पड़ोस की बहन का भला हो, पड़ोस के भाइयों का भला हो । माता – पिता का मंगल हो, बच्चे – बच्चियों का मंगल हो ! ईसाई भी सुखी रहें, मुसलमान भी सुखी रहें, पारसी व यहूदी भी सुखी रहें । सभी देशवासियों का, विश्ववासियों का, सभी का मंगल हो ! प्राणिमात्र सुखी रहें ।
    – ऋषि प्रसाद, फरवरी 2014