14 Nov, 2020
इस तारीख को है दिवाली
Diwali 2020
प्रति वर्ष-सी इस बार भी
दीपावली है आई ।
गुरुज्ञान का दीप तुम
जलाओ मेरे भाई ।।
छोड़कर मोह-माया को
करलो प्रभु से सगाई ।
संदेश है ये दीपावली का
सबको खूब-खूब बधाई ।।
पर्वों का पुंज : दीपावली
[5 Days of Diwali 2020]
Deepak Jalane ka Mahatva [Importance of Lighting Diyas on Diwali]
दीपज्योतिः परं ब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः ।
दीपो हरतु मे पापं साध्यदीप नमोऽस्तु ते ।।
शुभं करोतु कल्याणं आरोग्यं सुख-सम्पदाम् ।
शत्रुबुद्धि विनाशं च दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ।।
हजारों बच्चों ने गुरुद्वार पर दीपक जलाकर कैसे मनाई दिवाली देखिये
- शास्त्रों में दीपज्योति की महिमा आती है । दीपज्योति पापनाशक, शत्रुओं की वृद्धि को रोकने वाली, आयु, आरोग्य देने वाली है । पूजा में, साधन-भजन में कहीं कमी रह गयी है तो अंत में आरती करने से वह कमी पूरी हो जाती है ।
- यदि घर में दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर है तो आयु की वृद्धि करती है, पश्चिम की ओर है तो दुःख की वृद्धि करती है, उत्तर की ओर है तो स्वास्थ्य और प्रसन्नता बढ़ाती है और दक्षिण की ओर है तो हानि करती है ।
- घर में आप दीया जलायें तो वह आपके उत्तर अथवा पूर्व में होना चाहिए । पर भगवत्प्राप्त महापुरुषों के आगे किसी भी दिशा में दीया करते हैं तो सफल ही सफल है । दीपज्योति से पाप-ताप का हरण होता है, शत्रुबुद्धि का शमन होता है और पुण्यमय, सुखमय जीवन की वृद्धि होती है ।
भारतीय संस्कृति की महक
- दीपावली हिन्दू समाज में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है । दीपावली को मनाने का उद्देश्य भारतीय संस्कृति के उस प्राचीन सत्य का आदर करना है, जिसकी महक से आज भी लाखों लोग अपने जीवन को सुवासित कर रहे हैं ।
- दिवाली का उत्सव पर्वों का पुंज है । भारत में दिवाली का उत्सव प्रतिवर्ष मनाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है ।
- यह तो हमारी प्रतिवर्ष मनायी जाने वाली दिवाली है, किंतु इस दिवाली को हम अपने जीवन की विशेष दिवाली बना लें, ऐसा पुरुषार्थ हमें करना चाहिए ।
तुम्हारे जीवन में हो नित्य दिवाली
– पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
पाँच पर्वों का झुमका
- विश्व के जो भी मजहब, पंथ हैं, उनमें सबसे ज्यादा और सुखदायी पर्व हैं तो हिन्दुस्तान में, हिन्दू संस्कृति में हैं । उन सुखद और आनंददायी पर्वों में पर्वों का झुमका है तो दिवाली है ।
- धनतेरस, नरक चतुर्दशी (काली चौदस), दिवाली, नूतन वर्ष, भाईदूज – यह पर्वों का पुंज है । इसमें जीव नित्य दिवाली मना सके ऐसा संकेत है ।
- दीपावली के दिन पटाखे फोड़ना, दीये जलाना यह उस अखंड ब्रह्म की ओेर संकेत है । दीये अनेक जगमगाते हैं, हजारों-लाखों नहीं करोड़ों-करोड़ों दीये जगमगाते हैं किंतु सभी दीयों में प्रकाश वही-का-वही है ।
- किस्म-किस्म के पटाखे फूटते हैं लेकिन गंधक सभी में एक है । मिठाइयों के स्वाद अनेक परंतु सबमें मिठास तत्व एक-का-एक ।
- ऐसे ही चित्त अनेक, वृत्तियाँ अनेक, राग-द्वेष अनेक, भय, हर्ष, शोक अनेक लेकिन चैतन्य सत्ता एक-की-एक । यह दीपावली अनेक रंगों में, अनेक दीपों में, अनेक मिठाइयों में, अनेक पटाखों में, अनेक सुखाकार, दुःखाकार, लोभाकार, मोहाकार चित्त-वृत्तियों में, अनेक अवस्थाओं में ज्ञान देवता एक का संदेश देती है ।
What is Diwali and Why it is celebrated ?
- भगवान राम ने जिस दिन अयोध्या में प्रवेश किया था, वह दीपावली का दिन माना जाता है। इस दिन जैसे घर का कचरा निकाल कर दीपक जलाकर प्रकाश किया जाता है, ऐसे ही अंतःकरण में अज्ञान का अहंता – ममता का जो कचरा है, दोष है, इन सब को भी निकाल के ज्ञान का प्रकाश करें ।
- इन सब दोषों की जड़ है अविद्या । अस्मिता, राग ,द्वेष अभिनिवेश उसका परिवार है।
- इन दोषों से आदमी घिरा हुआ है, अंधेरे में है। अविद्या का मतलब है अंधेरा। उस अंधेरे को निकालने से ही वास्तविक भीतरी दिवाली होती है।
- दीपावली पर्व राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का पर्व है । इसमें हमें एक सम्पूर्ण राष्ट्र के गौरव तथा गौरवशाली अतीत के दर्शन होते हैं ।
- दीपावली पर घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर तथा अन्य स्थानों पर “शुभ-लाभ’ लिखा जाता है और स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है । इससे शुभ पक्ष का आगमन शुरू हो जाता है और हमारे जीवन से जुड़े अशुभ पक्षों का खात्मा शुरू हो जाता है ।
- हल्दी, चंदन, सिंदूर या कुमकुम से ‘शुभ’ और ‘लाभ’ लिखने से महालक्ष्मी सहित श्रीगणेश भी प्रसन्न होते हैं । स्वास्तिक को मंगल भावना एवं सुख-सौभाग्य का द्योतक माना जाता है एवं वैज्ञानिक दृष्टि से यह प्रचंड सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है ।
- वास्तुशास्त्र के अनुसार भवन के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाकर ‘शुभ-लाभ’ लिखने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है ।
आत्मिक दिवाली मनाने का संदेश देता है यह पर्व
- दीपावली पर्व राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का पर्व है । इसमें हमें एक सम्पूर्ण राष्ट्र के गौरव तथा गौरवशाली अतीत के दर्शन होते हैं ।
- दीपावली पर घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर तथा अन्य स्थानों पर “शुभ-लाभ’ लिखा जाता है और स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है । इससे शुभ पक्ष का आगमन शुरू हो जाता है और हमारे जीवन से जुड़े अशुभ पक्षों का खात्मा शुरू हो जाता है ।
- हल्दी, चंदन, सिंदूर या कुमकुम से ‘शुभ’ और ‘लाभ’ लिखने से महालक्ष्मी सहित श्रीगणेश भी प्रसन्न होते हैं । स्वास्तिक को मंगल भावना एवं सुख-सौभाग्य का द्योतक माना जाता है एवं वैज्ञानिक दृष्टि से यह प्रचंड सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है ।
- वास्तुशास्त्र के अनुसार भवन के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाकर ‘शुभ-लाभ’ लिखने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है ।
आत्मिक दिवाली मनाने का संदेश देता है यह पर्व
दीपावली पर्व
पर करें लक्ष्मी पूजन
Deepavali Laxmi Pujan Vidhi
- सनातन धर्म में दीपावली पर अपने घर में सद्गुरुदेव, भगवान गणपति, माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती एवं कुबेर इनके विशेष पूजन का विधान है ।
- वैदिक मान्यता के अनुसार दीपावली पर मंत्रोच्चारणपूर्वक इन पंच देवों के स्मरण पूजन से अंतर एवं बाह्य महालक्ष्मी की अभिवृद्धि तथा जीवन में सुख-शांति का संचार होता है ।
- सर्वसाधारण श्रद्धालु भावपूर्वक वैदिक विधि-विधान का लाभ ले सकें, इस हेतु लक्ष्मी पूजन की अत्यंत संक्षिप्त विधि यहाँ प्रस्तुत की जा रही है ।
दीपावली पर्व पर लक्ष्मी पूजन की संक्षिप्त विधि पढ़ने के लिए
Diwali Special Pujya BapuJi's Sandesh
- चौरासी लाख योनियों के बाद मनुष्य-जन्म मिलता है, बड़ा दुर्लभ है। दुर्लभ होते हुए भी क्षणभंगुर है। कब, कहाँ, किस निमित्त मृत्यु हो जाय पता नहीं। उसमें भी महापुरुषों का सम्पर्क और भी दुर्लभ है – वैकुंठपति के जो प्रिय हैं उन महापुरुष का दर्शन-सम्पर्क…
दुर्लभो मानुषो देहो देहिनां क्षणभङ्गुरः ।
तत्रापि दुर्लभं मन्ये वैकुण्ठप्रियदर्शनम् ॥
- अतः ऐसे दुर्लभ जीवन का लाभ लेते हुए दिवाली की रात में ईश्वर प्राप्ति के उद्देश्य से जप, जागरण, सत्संग का पुस्तक-पठन, उसमें विश्रांति व ओंकार का हस्व, दीर्घ, प्लुत जप करते-करते विश्रांति… सभी साधक फायदा लें ।
- सोते समय ईश्वर, गुरु के अनुभव में, स्मरण में प्रीति करते-करते, आनंदपूर्वक विश्रांति पाते पाते नींद आ जाय तो वह योगनिद्रा का काम करेगी और नूतन वर्ष का आरम्भ शांत, अंतरात्म-रस से सम्पन्न चित्त से होगा… हरि शरणम् । पूरा वर्ष वैसा ही व्यतीत होगा। ‘यह और ‘वह’ के रूप में, ‘मैं’ व ‘मेरे’ के रूप में सब एक सच्चिदानंद की अभिव्यक्ति है । ॐ आनंद… ॐ माधुर्य… सोऽहम्… शिवोऽहम्… इस उच्च ज्ञान, उच्च भाव में…।
- जो ईश्वर को अपने से अलग, दूर व दुर्लभ मानता है, वह विद्या की उपासना कर रहा है । ‘ईशावास्योपनिषद्’ कहती है :
- वह अंधकूप में प्रवेश करता है । जहाँ से शरीर, मन, बुद्धि, चित्त, सुख, दुःख को जानने की सत्ता, स्फूर्ति व चेतना आती है, वही चैतन्य आत्मस्वरूप ईश्वर तुम्हारा अपना आपा है । वह दूर नहीं, दुर्लभ नहीं, परे नहीं, पराया नहीं ।
- नूतन वर्ष के दिन जब मौका मिले पूछते रहना अपने निर्मल, नर-नारी में छुपे नारायण को । जो कभी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ता वह अंतर्यामी ईश्वर अभी भी तुम्हारे साथ है, महल में रहो चाहे जेल में ।
पूर्ण गुरु कृपा मिली, पूर्ण गुरु का ज्ञान।
आसुमल से हो गये, साँई आसाराम ॥
- बापू के बच्चे, नहीं रहना कच्चे । मंगल दिवाली, मंगल प्रभात, नूतन वर्ष ! यह संदेश मेरे साधुओं तक अवश्य पहुंचे ।
Exploring the science behind Diwali 2022
Diwali Me Kaise Kare Laxmi Puja [Laxmi Prapti Mantra]
- दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें । हो सके तो वे रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी ।
- मिट्टी के कोरे दीयों में कभी भी तेल-घी नहीं डालना चाहिए । दीये 6 घंटे पानी में भिगोकर रखें, फिर इस्तेमाल करें । नासमझ लोग कोरे दीयों में घी डालकर बिगाड़ करते हैं ।
- लक्ष्मीप्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल और केवल तीन दिन का प्रयोग :-
Diwali Me Kya Kare
[Things to do on Diwali 2022]
- दीपावली के दिन रात भर घी का दिया जले सूर्योदय तक, तो बड़ा शुभ माना जाता है ।
- दीपावली के दिन चांदी की कटोरी में अगर कपूर को जलायें, तो परिवार में तीनों तापों से रक्षा होती है ।
- दीपावली की शाम को अशोक वृक्ष के नीचे घी का दिया जलायें, तो बहुत शुभ माना जाता है ।
- हर अमावस्या को (और दिवाली को भी) पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाने से पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं, और अच्छी आत्माएं घर में जन्म लेती हैं ।
- नूतन वर्ष के दिन (दीपावली के अगले दिन ), गाय के खुर की मिट्टी से, अथवा तुलसीजी की मिट्टी से तिलक करें, सुख-शान्ति में बरकत होगी ।
Tips on Diwali 2022: Laxmi Praprti Ke Upay/ Tips
Tips by Bapuji for Diwali 2022
1. पूजा के स्थान पर मोर-पंख रखने से लक्ष्मी-प्राप्ति में मदद मिलती है।
2. तुलसी के पौधे के आगे शाम को दिया जलाने से लक्ष्मी वृद्दि में मदद मिलती है; गुरुदेव ने यह भी कहा की लक्ष्मीजी को कभी तुलसीजी नहीं चढाई जाती, उनको कमल चढाया जाता है ।
Tips By Sureshanandji for Deepavali
1. दीपावली के दिन रात भर घी का दिया जले सूर्योदय तक, तो बड़ा शुभ माना जाता है ।
2. दिवाली की रात को चाँदी की छोटी कटोरी या दिए में कपूर जलने से दैहिक दैविक और भौतिक परेशानी/कष्टों से मुक्ति होती है।
Diwali 2020 Tips For Happiness And Prosperity
- दीपावली के दिन नारियल व खीर की कटोरी लेकर घर में घूमें । घर के बाहर नारियल फोड़ें और खीर ऐसी जगह पर रखें कि कोई जीव-जंतु या गाय खाये तो अच्छा है, नहीं तो और कोई प्राणी खाये । इससे घर में धन-धान्य की बरकत में लाभ होता है ।
- घर के बाहर हल्दी और चावल के मिश्रण या केवल हल्दी से स्वास्तिक अथवा ॐकार बना दें । यह घर को बाधाओं से सुरक्षित रखने में मदद करता है । द्वार पर अशोक और नीम के पत्तों का तोरण (बंदनवार) बाँध दें । उससे पसार होने वाले की रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी ।
- आज के दिन सप्तधान्य उबटन (पिसे हुए गेहूँ, चावल, जौ, तिल, चना, मूँग और उड़द से बना मिश्रण) से स्नान करने पर पुण्य, प्रसन्नता और आरोग्यता की प्राप्ति होती है । दिवाली के दिन अथवा किसी भी पर्व के दिन गोमूत्र से रगड़कर स्नान करना पापनाशक स्नान होता है ।
- इन दिनों में चौमुखी दीये जलाकर चौराहे पर चारों तरफ रख दिये जायें तो वह भी शुभ माना जाता है ।
'मिठाई की दुकान अर्थात यमदूत का घर'
- दीपावली के अवसर पर घर में बनी मिठाई अवश्य खायें लेकिन उसे खाते समय सावधान ! सीमित मात्रा में ही उसका सेवन करें ।
- आयुर्वेद-शास्त्र में आता है कि केवल दूध ही पचने में भारी है तो फिर दूध को जलाकर जो मावा बनाया जाता है वह पचने में कितना भारी होगा !
- आचार्य सुश्रुत ने कहा है : ‘भैंस का दूध पचने में अति भारी, अतिशय अभिष्यंदी होने से रसवाही स्रोतों को कफ से अवरूद्ध करने वाला एवं जठराग्नि का नाश करने वाला है।‘
Safety Tips for Diwali Festival [Precauations]
थोड़ी-सी सावधानी और लापरवाही के कारण मनुष्य कई बार बहुत कुछ खो बैठता है । हमें दीपावली के आगमन पर इस त्यौहार के आनंद, खुशी और उत्साह को बनाये रखने के लिए सावधान रहना चाहिए । लोगों को निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष ध्यान रखना चाहिए :-
पटाखों के साथ खिलवाड़ न करें । उचित दूरी रखकर पटाखे जलाएँ । इसे भारतीय संस्कृति के आदर्शों के अनुसार सादगी से मनायें । पाश्चात्य जगत के अंधानुकरण में न बहें, पटाखे घर से दूर उचित स्थान पर जलायें ।
पटाखे जलाने के बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ धोकर ही कुछ खायें । पटाखों से बच्चों को दूर रखें ।
Patake [Crackers] se Jalne par Kya Lagaye
दीपावली के दिनों में पटाखे, दीये आदि से या अन्य दिनों में अग्नि से शरीर का कोई अंग जल जाये तो जले हुए स्थान पर तुरंत कच्चे आलू का रस लगाना व कच्चे आलू के चिप्स जले स्थान पर रखना पर्याप्त है । इससे न फोड़ा होगा न मवाद बनेगा, नहीं मलहम या अन्य औषधियों की आवश्यकता होगी ।
दिवाली का आध्यात्मिकीकरण
ये ऐहिक दिवालियाँ ऐहिक हर्ष देती हैं लेकिन ऐहिक दिवाली का निमित्त साधकर आध्यात्मिक दिवाली मनाने का जो लोग उद्देश्य बनाते हैं, वे धनभागी हैं ।
दिवाली में चार काम करते हैं –
पहला काम
घर साफ-सूफ करते हैं, ऐसे ही अपना साफ इरादा कर दो कि हमको इसी जन्म में परमात्म-सुख, परमात्म-ज्ञान पाना है ।
दूसरा काम
नयी चीज लाना । जैसे घरों में चाँदी, कपड़े या बर्तन आदि खरीदे जाते हैं, ऐसे ही अपने चित्त में उस परमात्मा को पाने के लिए कोई दिव्य, पवित्र, आत्मसाक्षात्कार में सीधा साथ दे ऐसा जप, ध्यान, शास्त्र-पठन आदि का नया व्रत-नियम ले लेना चाहिए ।
तीसरा काम
दीये जलाना । बाह्य दीयों के साथ आप ज्ञान का दीया जलाओ । हृदय में है तो आत्मा है और सर्वत्र है तो परमात्मा है । वह परमात्मा दूर नहीं, दुर्लभ नहीं, परे नहीं, पराया नहीं, सबका अपना-आपा है । ज्ञान के नजरिये से अपने ज्ञानस्वरूप में जगो । व्यर्थ का खर्च न करो, व्यर्थ का बोलो नहीं, व्यर्थ का सोओ नहीं, ज्यादा जागो नहीं, ‘युक्ताहारविहारस्य...’ ज्ञान का दीप जलाओ ।
चौथा काम
मिठाई खाना और खिलाना । आप प्रसन्न रहिये । सुबह गहरा श्वास लेकर सवा मिनट रोकिये और 'मैं आनंदरवरूप ईश्वर का हूँ और ईश्वर मेरे हैं ।‘ - यह चिंतन करके दुःख, अशांति और नकारात्मक विचारों को फूँक मार के बाहर फेंक दो । ऐसा दस बार करो तो आप मीठे रहेंगे, अंतरात्मदेव के ज्ञान की, वैदिक चिंतन की मिठाई खायेंगे और आपके सम्पर्क में आने वाले भी मधुर हो जायेंगे, उन्हें भी प्रेमाभक्ति का रस मिलेगा ।
ऐसे मनायी पूज्य बापूजी ने दिवाली...
ऐसे मनायी पूज्य बापूजी ने दिवाली…
वैष्णव जन तो तेने रे कहिये, जे पीड़ परायी जाणे रे…
- दीपावली के दिन रात भर घी का दिया जले सूर्योदय तक, तो बड़ा शुभ माना जाता है ।
- पूज्य बापूजी दीपावली एवं अन्य अवसरों पर उन क्षेत्रों में भंडारों का आयोजन करते हैं । कई भंडारों में वे स्वयं उपस्थित रहते हैं । वैसे आश्रम द्वारा दीपावली पर्व पर देश भर में अनेक स्थानों पर भंडारों का आयोजन होता है ।
- हजारों गरीब बच्चों को, माई-भाइयों को दीपावली के निमित्त नये वस्त्र तथा बर्तन, मिठाई और नकद रुपये आदि दिये जाने पर हजारों चेहरे स्नेह भरी सौगातों से हर वर्ष की तरह खिल उठे । बापूजी आये तो दिवाली… दिवाली आये तो बापूजी !
- गरीब, अनपढ़, लाचार लोग बापूजी की सहज उपस्थिति, स्नेहपूर्ण सांत्वना एवं सूझबूझ भरी स्वस्थ, सुखी रहने की सीखें पाकर ‘आपणा बापूजी, प्यारे-प्यारे बापजी’ ऐसा कहते हुए धन्य-धन्य हुए । गरीब गरीबों की सेवा करके साधकों के दिल को भी संतुष्टि मिल रही थी । साधकों ने भोजन प्रसाद परोसकर सभी लोगों को उदरतृप्ति प्रदान की ।
- एक ओर जहाँ सभी लोग अपने-अपने परिवार और मित्रों के साथ दीपावली मनाने में मस्त थे, वहीं करुणामूर्ति पूज्य बापूजी – गरीब आदिवासियों के बीच ‘नर-सेवा ही नारायण-सेवा’ के उदात्त सिद्धांत को चरितार्थ कर रहे थे । कैसे अनोखे संत हैं बापूजी ! धन्य हैं ऐसे महापुरुष !
Diwali Prayers, Path
अच्छी दिवाली हमारी
सभी इन्द्रियों में हुई रोशनी है ।
यथा वस्तु है सो तथा भासती है ।।
विकारी जगत् ब्रह्म है निर्विकारी ।
मनी आज अच्छी दिवाली हमारी ।।1।।
दिया दर्शे ब्रह्मा जगत् सृष्टि कर्ता ।
भवानी सदा शंभु ओ विघ्न हर्ता ।।
महा विष्णु चिन्मूर्ति लक्ष्मी पधारी ।
मनी आज अच्छी दिवाली हमारी ।।2।।
परम दिवाली
प- परम चैतन्य की आभा से, जगमग हो दिल दीप ।
लौ तेल बाती वही, ज्योति स्वरूप मन मीत ।
तन सितार की तार में, गूंजे ‘सोऽहम्’ संगीत ।
मिथ्या माया जगत सब, साँची प्रभु गुरु प्रीत ।।
र – रंगोली सजी प्रेम की, परम स्नेह के रंग ।
समता सुमति भक्ति संग, छलके आनंद उमंग ।
रोम-रोम कण-कण वही, ‘साक्षी’ एक असंग ।
घट-घट में साहिब बसा, नित्य निर्लेप निसंग ।।
दिवाली प्रिय पूजियेगा
वर्षों दिवाली करते रहे हो ।
तो भी अन्धेर घुप में पड़े हो ।।
माया अन्धेर अब त्यागियेगा ।
प्रज्ञा दिवाली प्रिय पूजियेगा ।।
पूजा अनात्मा नहीं आत्म पूजा ।
पूजा करे ‘हो’ नित भूत दूजा ।।
ना दूसरे से सुख पाइयेगा ।
प्रज्ञा दिवाली प्रिय पूजियेगा ।।
Some FAQ’s for Diwali October 2022 [ दिवाली शंका समाधान ]
Day 1 – Dhanteras: (October 22, 2022)
Day 2 – Naraka Chaturdashi, Chhoti (October 23, 2022)
Day 3 – Diwali/Lakshmi Puja (October 24, 2022)
Day 4 – Nutan Varsh/Govardhan Puja (October 25, 2022)
Day 5 – Bhai Dooj/Vishwakarma Puja (October 26, 2022)
दीवाली की शाम भगवान लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। इन दिन सभी लोग अपने घरों, दुकानों, दफ्तरों आदि में दीप जलाते हैं । ये ऐहिक दिवालियाँ ऐहिक हर्ष देती हैं लेकिन ऐहिक दिवाली का निमित्त साधकर आध्यात्मिक दिवाली मनाने का जो लोग उद्देश्य बनाते हैं, वे धनभागी हैं । आध्यात्मिक दिवाली कैसे मनाये जानने के लिए पढ़े दिवाली का आध्यात्मिकीकरण ।
24th October 2022
दिवाली पर्व पर आपके लिए विशेष उपहार